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Friday, 22 May 2009

श्रीलंका में लाखों की जिंदगी बदहाल May 21, 02:14 pm

श्रीलंका में लाखों की जिंदगी बदहाल

न्यूयार्क। श्रीलंका में आंतरिक रूप से विस्थापित लगभग 2,80,000 लोगों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थियों की एजेंसी ने कहा है कि ऐसे लोगों की हालत पर 'तुरंत ध्यान' दिए जाने की जरूरत है।

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय [यूएनएचसीआर] ने विस्थापित लोगों के लिए बनाए गए शिविरों की दुर्दशा पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि लगभग 2,80,000 लोगों की पहचान करके उन्हें पंजीकृत किया गया है और उन्हें 41 विभिन्न स्थानों पर रखा गया है।

यूएनएचसीआर के प्रवक्ता रोन रेडमंड ने इन लोगों की दुर्दशा पर 'तुरंत ध्यान' देने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि अन्य 50,000 लोगों की भी पहचान और पंजीकरण का काम किया जा रहा है, जिन्हें दूसरे स्थानों पर भेजा जाएगा। रेडमंड ने पत्रकारों से कहा कि श्रीलंका में लड़ाई खत्म होने की घोषणा के साथ ही यूएनएचसीआर और अन्य एजेंसियों की चुनौतियां बढ़ गई हैं।

यूएनएचसीआर के अनुसार सिर्फ पिछले तीन दिनों में लगभग 80,000 लोग युद्ध क्षेत्र से विस्थापित हो चुके हैं, जिसके बाद पिछले कई महीनों में विस्थापित हुए लोगों की संख्या बढ़ कर 2,80,000 से ज्यादा हो गई है।

यूएनएचसीआर ने कहा कि जो लोग विस्थापित होकर आए हैं उनके बीमार, भूखे और कुपोषण जैसी समस्या से ग्रसित होने की खबरें मिल रही हैं। दूसरी ओर जहां विस्थापितों के पंजीयन का काम हो रहा है, उस ओमांथाई विद्यालय की स्थिति भी सफाई और भोजन की आपूर्ति के स्तर पर अच्छी नहीं है। इसके पहले इस सप्ताह की शुरूआत में श्रीलंका सरकार ने लिट्टे के साथ अपने युद्ध की समाप्ति की घोषणा करते हुए कहा था कि सभी नागरिकों को युद्ध क्षेत्र से विस्थापित कर दिया गया है।

रेडमंड ने बताया कि हाल ही में आए हजारों लोगों के चलते वावुनिया, जाफना और त्रिंकोमाल्ली के शरणार्थी शिविरों की हालत और भी खराब हो गई है, जिनमें पहले से ही बहुत लोग रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जरूरत से ज्यादा लोगों के एक ही स्थान पर रहने और सीमित सेवाओं की उपलब्धता जैसी समस्याओं पर भी तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। रेडमंड ने कहा कि यूएनएचसीआर इसके लिए 10,000 अतिरिक्त शरणगाह बनाने जा रहा है, जिनमें लोगो को रखा जाएगा।

यूएनएचसीआर ने इस बात पर भी चिंता जताई कि वावुनिया जैसे जिलों में अधिकारियों ने कई प्रतिबंध लगा रखे हैं, जिसके चलते एजेंसी को लोगों तक पहुंचने और सहायता उपलब्ध कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। युद्ध प्रभावित देश की वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के स्वयं कल श्रीलंका जाने की संभावना है।

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