स्वाइन फ़्लू के मामलों में तेज़ी आई है |
डब्ल्यूएचओ के सामने अपने ही मानदंडों के मुताबिक़ स्वाइन फ़्लू को महामारी घोषित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया था.
दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया को जिन बड़े क्षेत्रों में बाँट रखा है उनमें से कम से कम दो- उत्तरी अमरीका और ऑस्ट्रेलेशिया में स्वाइन फ़्लू का एच1एन1 वायरस तेज़ी से फैल रहा है.
ये संक्रमण मनुष्यों से मनुष्यों में जा रहा है.
डब्ल्यूएचओ की प्रमुख डॉक्टर मारग्रेट चैन ने गुरुवार शाम जिनीवा में स्वाइन फ़्लू को महामारी घोषित करते हुए कहा, "उपलब्ध सबूतों, और उन सबूतों के आकलन के आधार पर इन्फ़्लुएंज़ा की विश्वव्यापी महामारी के मानदंड पूरे हो जाते हैं. इसलिए मैंने फ़्लू महामारी के ख़तरे का स्तर पाँच से बढ़ा कर छह करने का फ़ैसला किया है."
चालीस वर्षों में पहली बार इन्फ़्लुएन्ज़ा के मामलों को विश्वव्यापी महामारी घोषित किया गया है.
इससे पहले 1968 में हांगकांग फ़्लू को विश्वव्यापी महामारी घोषित किया गया था. तब उससे दुनिया भर में 10 लाख लोगों की मौत हुई थी.
उपलब्ध सबूतों, और उन सबूतों के आकलन के आधार पर इन्फ़्लुएंज़ा की विश्वव्यापी महामारी के मानदंड पूरे हो जाते हैं. इसलिए मैंने फ़्लू महामारी के ख़तरे का स्तर पाँच से बढ़ा कर छह करने का फ़ैसला किया है |
'स्थिति उतनी बुरी नहीं'
हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस बार स्थिति उतनी बुरी नहीं है. हाँ, स्वाइन फ़्लू के मामलों में लगातार तेज़ी आई है. और इसका दायरा भी लगातार बढ़ता गया है.
अप्रैल महीने में मेक्सिको में स्वाइन फ़्लू का पहला मामला सामने आया था. और ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़ अब तक 74 देशों में स्वाइन फ़्लू के 28 हज़ार मामलों की पुष्टि की जा चुकी है.
अब तक स्वाइन फ़्लू से दुनिया भर 141 लोग मारे जा चुके हैं.
डॉक्टर चैन ने कहा कि स्वाइन फ़्लू को लेकर अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर किसी तरह की रोकटोक की ज़रूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता ज़रूरी है.
उनका कहना था, "विश्व स्वास्थ्य संगठन सीमाओं को बंद नहीं करने या यात्राओं पर पाबंदी नहीं लगाने के अपने निर्देश पर क़ायम है. इन्फ़्लुएंज़ा महामारी को एक साधारण घटना के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि इसकी चपेट में कोई भी आ सकता है. हम इस स्थिति का मिल कर मुक़ाबला करेंगे."
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर के देशों से स्वाइन फ़्लू के प्रसार के ख़िलाफ़ सतर्कता बढ़ाने का आग्रह किया है.
संवाददाताओं के अनुसार डब्लूएचओ के सामने अब पहली चुनौती ये है कि स्वाइन फ़्लू को महामारी घोषित करने के बाद विश्व स्तर पर बढ़ने वाली चिंता से कैसे निपटा जाए.
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